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			 बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छतासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता
 
कार्बोहाइड्रेट, वसा तथा प्रोटीन की अधिकता एवं कमी
 (Deficiency and Exces of Carbohydrate, Fats and Protein)
 
कार्बोहाइड्रेट्स - सामान्य परिचय
कार्बोहाइड्रेट्स को कार्बोज भी कहा जाता है। शरीर की कार्यशीलता तथा स्वास्थ्य के लिए निर्धारित छह पोषक समूहों में से कार्बोहाइड्रेट्स का एक प्रमुख स्थान है। हमारे आहार का मुख्य भाग कार्बोज ही है। जिस प्रकार रेलगाड़ी के इंजन में ईंधन कार्य करता है, कार्बोज भी शरीर में वही कार्य करता है। जिस प्रकार ईंधन जलकर ऊर्जा प्रदान करता है, उसी प्रकार कार्बोहाइड्रेट भी जलकर ऊर्जा प्रदान करता है। कार्बोहाइड्रेटरूपी ईंधन श्वास में ली गई ऑक्सीजन द्वारा जलकर ताप व ऊर्जा को विमुक्त करता है। यह ऊर्जा व ताप शरीर की विभिन्न गतिविधियों व क्रिया-कलापों के लिए जरूरी है। शारीरिक गति व क्रियाशीलता के लिए हमें सामान्यतः जितनी ऊर्जा व ताप की जरूरत होती है, उसका 55-60% भाग हमें कार्बोज द्वारा ही प्राप्त होता है।
कार्बोहाइड्रेट्स प्राप्ति के मुख्य स्रोत
कार्बोहाइड्रेट्स की प्राप्ति के स्रोतों को प्रमुखतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। ये प्रकार हैं-
(i) फीके कार्बोहाइड्रेट्स या स्टार्च (Non-sweet Carbohydrates or Starch)
(ii) मीठे कार्बोहाइड्रेट्स या शर्करा ( Sweet Carbohydrates or Sugar)
मीठे कार्बोहाइड्रेट्स गुड़, बूरा, शक्कर, शहद, दानेदार चीनी, किशमिश, खजूर, अंजीर, ताजे फल; जैसे अंगूर, सूखे मेवे, केला, सेब, आम, चीकू आदि में होते हैं। विभिन्न अनाजों; जैसे गेहूँ, चावल, मैदा, साबूदाना, अरारोट, विभिन्न दालों; जैसे मटर, लोबिया, सेम व राजमा आदि में भी स्टार्च पर्याप्त रूप से होता है। विभिन्न कन्द-मूल व सब्जियाँ; जैसे. आलू, अरवी, शकरकन्द व जिमीकन्द तथा विभिन्न सूखे मेवे; जैसे बादाम, मूँगफली, काजू व अखरोट भी स्टार्चयुक्त होते हैं। कच्चे केलों में भी स्टार्च उपस्थित होता है। भोज्य पदार्थों में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को ध्यान में रखते हुए भोज्य पदार्थों को निम्नलिखित क्रम में विभक्त किया जा सकता है।
कार्बोहाइड्रेट्स की अधिकता से होने वाले प्रभाव
इस स्थिति में व्यक्ति मोटापे का शिकार हो जाता है। आहार में आवश्यकता से अधिक मात्रा में ग्रहण किया गया कार्बोहाइड्रेट क्रमशः वसा में परिवर्तित होकर शरीर में एकत्र होने लगता है। इससे शरीर का वजन बढ़ जाता है तथा व्यक्ति शारीरिक रूप से शिथिल होने लगता है। ऐसे में व्यक्ति की शारीरिक चुस्ती घटने लगती है तथा वह शीघ्र ही थकान का अनुभव करने लगता है। मोटापे के शिकार व्यक्ति को गर्मी अधिक महसूस होती है तथा व्यक्ति के शरीर की मांसपेशियों की कार्यक्षमता भी घटने लगती है। ऐसे व्यक्ति में मधुमेह, उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोग की आशंका भी बढ़ जाती है।
कार्बोहाइड्रेट्स की कमी से होने वाले प्रभाव
भारत जैसे देशों में कई निर्धन परिवारों को दो समय भी भरपेट भोजन नहीं मिल पाता और वे कार्बोहाइड्रेट की कमी का शिकार हो जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स की उपयुक्त मात्रा के अभाव में व्यक्ति को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती और वह कमजोरी तथा थकावट महसूस करने लगता है। उसका शरीर स्फूर्तिहीन हो जाता है तथा त्वचा पर झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं तब प्रोटीन द्वारा उस व्यक्ति के शरीर की कार्बोहाइड्रेट्स की कमी पूरी की जाती है और शरीर अन्दर ही अन्दर गलने लगता है, विकास रुक जाता है। शरीर में वसा की मात्रा नहीं रहती और ग्लाइकोजन भी बहुत कम रह जाती है। जब शरीर की ऊर्जा प्रोटीन के माध्यम से पूरी तरह समाप्त हो जाती हैं और व्यक्ति को भोजन नहीं मिलता, तब उसकी मृत्यु हो जाती है।
						
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